चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। जो हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में माना  जाता है। यह नौ दिन की पवित्र पूजा की यात्रा होती  है। जो देवी दुर्गा को समर्पित है। इस वर्ष, चैत्र नवरात्रि 2024 तारीख 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक मनाई जाएगी। यह पूजा भारत के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाई जाता  है। और इसके दौरान लोग देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनके नौ रूपों की आराधना करते हैं। इस लेख में,चैत्र नवरात्रि के बारे में त्योहार के दौरान की पूजा विधि के बारे में बात करेंगे।



चैत्र नवरात्रि को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्योहार के दौरान देवी दुर्गा की आराधना की जाती है और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। इसके अलावा, इस त्योहार को भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे कि गुजरात में यह त्योहार "चैत्र नवरात्रि" के नाम से जाना जाता है और बंगाल में यह "बसंत नवरात्रि" के नाम से जाना जाता है।

कैसे करे पूजा विधि ( shub navaratri )

चैत्र नवरात्रि के दौरान, लोग देवी दुर्गा माता  की पूजा करते हैं और नौ दिन का उपवा शरखते है । उनके नौ रूपों की आराधना करते हैं। इसके लिए, एक कलश स्थापित किया जाता है जिसमें गंगाजल और नारियल रखा जाता है। इसके बाद, देवी दुर्गा की मूर्ति को स्थापित किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इसके दौरान, लोग देवी को फूल, चावल, दूध, दीपक और नौविध प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके बाद, देवी को नौ दिनों तक पूजा की जाती है और हर दिन उनके एक रूप की आराधना की जाती है। इस दौरान, लोग विभिन्न प्रकार के भोग और प्रसाद बनाते हैं और देवी को चढ़ाते हैं।

कलश स्थापना कब करे ( happy navaratri)

हिंदू धर्म में 9 दिन की नवरात्रि का विशेष महत्त्व है इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है नवरात्रि साल में चार बार आती हैं। जिनमें से दो गुण और दो प्रत्यक्ष होती है चैत्र महीने की नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। और अगली  तिथि को दुर्गा विसर्जन के साथ ही समाप्त हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं साल 2024 में चैत्र नवरात्रि कब है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और अष्टमी नवमी तिथि कब रहेंगी ।

9 अप्रेल को सुरु होगा नवरात्र कर ले कम .

इस बार साल 2024 में 9 अप्रैल मंगलवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी जो कि 17 अप्रैल बुधवार को समाप्त हो जाएगी. नवरात्रि में मंगलवार और शनिवार के दिन माँ का आगमन घोड़े पर होता है जिसे अशुभ माना जाता है। बहुत ज्यादा शुभ नहीं मानते हैं ऐसे में इस बार माँ दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर पधारेंगी कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त रहेगा 9 अप्रैल मंगलवार को प्रतिपदा तिथि के दिन जो की सुबह 6:02 से 10:16 तक का रहेगा अगर आप इस समय कलश स्थापना न कर पाए तो अभिजीत मुहूर्त में यानी सुबह 11:57 से दोपहर 12:48 के बीच में भी कलश स्थापना कर सकते हैं इस बार किसी भी तिथि की गडबड नहीं है 9 दिन की पूजा करने का पूरा पूरा समय मिलेगा अष्टमी तिथि रहेंगी 16 अप्रैल मंगलवार को नौवीं तिथि रहेंगी 17 अप्रैल बुधवार को और दसवीं तिथि 18 अप्रैल गुरुवार को होगी दशमी तिथि को नवरात्रि व्रत का पारण और दुर्गा विसर्जन किया जाएगा इसी के साथ नवरात्रि व्रतों का समापन हो जाएगा 

सनातन धर्म का पवित्र तेवहार ।.

नवरात्रि के ये 9 दिन बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन नौ दिनों में भक्त अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार माता रानी की पूजा करते हैं ।इन नौ दिनों में नाखून बाल आदि काटने के लिए मना किया जाता है. व्रतधारी को पूजा करते समय काले रंग के वस्त्र नहीं पहने चाहिए विधि विधान से सुबह और शाम की पूजा करनी चाहिये वैसे तो कलश स्थापना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप किसी कारण से कलश स्थापना नहीं कर पाते हैं. तो बिना कलश स्थापना के भी आप नवरात्रि के 9 दिन की पूजा या 9 दिन के उपवास रख सकते हैं। इन नौ दिनों में अखंड ज्योत भी चलाई जाती है जो कि 9 दिन और नौ रात तक लगातार चलती रहती है । इन नौ दिनों में श्री दुर्गा चालीसा पाठ श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. अपनी अपनी परंपराओं के अनुसार अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। और इसके बाद शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करके अन्न ग्रहण करके ये उपवास खोला जाता है नवरात्रि के व्रत में भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार उपवास रखते हैं। जैसे कि कुछ लोग इस व्रत को केवल जल के साथ रखते हैं। कुछ लोग का जोड़ा ग्रहण करके रखते हैं. कुछ लोग एक समय फलाहार ग्रहण करके रखते हैं फलहार में सैंधा नमक से बना हुआ फलहार जैसे आलू लौकी कुटुया समां के चावल आदि ग्रहण किए जा सकते हैं। मौसमी फलों का और भरपूर मात्रा में दूध और जल का सेवन इस दौरान किया जाता है लेकिन जो लोग भी रखना चाहते हो लेकिन बिना अन्य के नहीं रह सकते वह इस व्रत में एक समय शुद्ध सात्विक भोजन जो की सेना नमक से बना हुआ हो लहसुन प्याज से रहित हो भोजन भी शाम के समय कर सकते हैं कलश विसर्जन या दुर्गा विसर्जन नवमी तिथि के बाद ही करना चाहिए तो 17 अप्रैल बुधवार को दोपहर 3:14 तक नवमी तिथि रहेंगी जिसके बाद से दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी. तो ऐसे में आप इस दिन शाम को सूर्यास्त से पहले पहले तक विसर्जन कर सकते हैं ।